21. ‘पढ़ना’ कौशल में सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण है
(a) शब्दों-वाक्यों को शुद्ध रूप से उच्चारित करना
(b) केवल अक्षर पहचान
(c) तेज गति से पढ़ना
(d) सन्दर्भानुसार अर्थ ग्रहण करना
22. सुलेखा ने पाठ को पढ़ते हुए ‘जीवन’ को ‘जिन्दगी’ पढ़ा। यह इस ओर संकेत करता है कि
(a) उसे अक्षरों की पहचान में भ्रम हो जाता है
(b) उसे केवल पठन अभ्यास की बहुत आवश्यकता है
(c) सुलेखा ध्यान से नहीं पढ़ती
(d) वह अक्षर पहचान की बजाय अर्थ को समझते हुए पढ़ रही है
23. सुनीता अपनी कक्षा को बाहर मैदान में ले जाती है और पर्यावरण पर आधारित कविता-पाठ का कार्य करती है। सुनीता का उद्देश्य है-
(a) अपने शिक्षक-प्रशिक्षण में सीखी बातों का निर्वाह करना
(b) मैदान के प्राकृतिक वातावरण के साथ सम्बन्ध जोड़ते हुए कविता को समझने का अवसर देना
(c) बच्चों को रोजमर्रा की चर्चा से कुछ अलग माहौल देना
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
24. ‘शक्ति’ को ‘सकती’ कहना किस प्रकार के उच्चारण दोष का उदाहरण है?
(a) स्वरागम
(b) स्वर-भक्ति
(c) स्वर-लोप
(d) इनमें से कोई नहीं
निर्देश (५. सं. 25-30) गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे वेत जिप दुनिए।
पुरुषार्थ दार्शनिक विषय हैं, पर दर्शन का जीवन से घनिष्ठ सम्बन्ध है। वह थोडे-से विद्यार्थियों का पाठय विषय मात्र नहीं है। प्रत्येक समाज को एक दार्शनिक मत स्वीकार करना होता है। उसी के आधार पर उसकी राजनीतिक, सामाजिक और कौटम्बिक व्यवस्था का व्यूह खड़ा होता है। जो समाज अपने वैयक्तिक और सामूहिक जीवन को केवल प्रतीयमान उपयोगिता के आधार पर चलाना चाहेगा उसको बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। एक विभाग के आदर्श दूसरे विभाग के आदर्श से टकराएंगे। जो बात एक क्षेत्र में ठीक जंचेगी वही दूसरे क्षेत्र में अनुचित कहलाएगी और मनुष्य के लिए अपना कर्तव्य स्थिर करना कठिन हो जाएगा। इसका परिणाम आज दिख रहा है। चोरी करना बुरा है, पर पराए देश का शोषण करना बुरा नहीं है। झूठ बोलना बुरा है, पर राजनीतिक क्षेत्र में सच बोलने पर अड़े रहना मूर्खता है। घर वालों के साथ, देशवासियों के साथ और परदेशियों के साथ बर्ताव करने के लिए अलग-अलग आचारावलियाँ बन गई हैं। इससे विवेकशील मनुष्य को कष्ट होता है।
25. सामाजिक व्यवस्था को चलाने के लिए आवश्यकता होती है
(a) आचार संहिता बनाने की
(b) विशेष दर्शन बनाने की
(c) विरोधाभासों को दूर करने की
(d) एक सफल रणनीति बनाने की
26. समाज के लिए दर्शन महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि
(a) इससे समाज की व्यवस्था संचालित होती है
(b) इससे सामाजिक जीवन की उपयोगिता में वृद्धि होती हैं
(c) यह समाज को सही दृष्टि प्रदान करता है
(d) इससे राजनीति की रणनीति निर्धारित होती है
27. समाज में जीवन प्रतीयमान उपयोगिता के आधार पर नहीं चल सकता, क्योंकि
(a) सभी व्यक्तियों का जीवन-दर्शन भिन्न होता है
(b) आचार संहिताएँ सभी के लिए अलग-अलग हैं
(c) एक ही बात भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में उचित या अनुचित हो सकती है
(d) सभी मनुष्य विवेकशील नहीं होते
28. विवेकशील मनुष्य को कष्ट पहुँचाने वाले विरोधाभास हैं
(a) सभी व्यक्तियों पर एक ही दर्शन थोपने का प्रयास
(b) परिवार, देश और विदेशी लोगों के लिए पृथक आचार संहिता
(c) समाज विशेष के लिए नैतिक मूल्य और नियमों का निर्धारण
(d) दर्शन के अनुसार राजनीतिक, सामाजिक तथा पारिवारिक व्यवस्था का निर्धारण
29. प्रस्तुत गद्यांश का सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक क्या हो सकता है?
(a) समाज और दर्शन
(b) दर्शन और सामाजिक आचरण
(c) दर्शन और सामाजिक व्यवस्था
(d) समाज में दर्शन का महत्त्व
30. ‘अनुचित’ में कौन-सा उपसर्ग है?
(a) अनु
(b) अन
(c) अनुच
(d) अनच
Previous Post |
Quiz 1: Hindi Language and Pedagogy |